शिवसेना किसकी, अब लड़ाई सिर्फ इसकी
महाराष्ट्र के सत्ता की लड़ाई एकनाथ शिंदे जीत गए हैं लेकिन अब लड़ाई यह है कि शिवसेना किसकी है। सुप्रीम के फैसले पर यह नजर है कि वह किसे अयोग्य ठहराए और किसे नहीं। इसके बाद पार्टी के चुनाव चिन्ह धनुष बाण को लड़ाई शुरू होगी। शिवसेना पहले ही अपने चुनाव चिन्ह को लेकर चुनाव आयोग पहुंच चुकी है। शिंदे गुट का यह कहना है कि शिवसेना के सांसद और विधायक संख्या के आधार पर उनके साथ हैं। दो तिहाई जनप्रतिनिधि उनके साथ हैं इसलिए शिवसेना उनकी है। वहीं उद्धव ठाकरे गुट का कहना है कि कार्यकारिणी का बहुमत उनके पास है। पिछले महीने कार्यकारिणी की बैठक में उद्धव ठाकरे को फैसले लेने के अधिकार दिया गया था। साथ ही कहा गया था कि बाला साहेब ठाकरे के नाम का इस्तेमाल कोई और नहीं करेगा।

वहीं एकनाथ शिंदे ने इस मोर्चे पर उद्धव ठाकरे को मात देने के लिए शिवसेना की पुरानी कार्यकारिणी को बर्खास्त कर नई कार्यकारिणी की घोषणा कर दी। नई कार्यकारिणी में एकनाथ शिंदे को मुख्य नेता को तौर पर नियुक्त किया गया। शिवसेना के भीतर चल रहे सियासी घमासान को लेकर अब नजर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर होगी। साथ ही शिवसेना किसकी यह लड़ाई इस जगह ही नहीं थमने वाली चुनाव आयोग पर भी इस पूरे मामले पर नजर रहेगी। सदस्यों की संख्या वर्तमान राजनीतिक समीकरण को देखा जाए तो कहा जा सकता है कि उद्धव ठाकरे के आने वाले दिन मुश्किल भरे हो सकते हैं।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने राहुल शेवाले को लोकसभा में शिवसेना के नेता के रूप में मंजूरी दे दी है। लोकसभा सचिवालय ने इस संबंध में सर्कुलर भी जारी कर दिया है जिसमें शिवसेना नेता के रूप में राहुल शेवाले का नाम दर्ज है। इसके साथ ही भावना गवली चीफ विप बनी रहेंगी। इससे पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी दावा किया था कि लोकसभा स्पीकर ने राहुल शेवाले को सदन के नेता के रूप में मान्यता दे दी है। लोकसभा स्पीकर के पास शिंदे और ठाकरे दोनों गुट की तरफ से आवेदन आए थे।